// स्वतंत्रता //
// स्वतंत्रता //
खिलने दो
अपने आप
इन नन्हें सुमनों को
हाथ न जोड़ो
ये मुरझा जाएँगे
ये प्रकृति की भव्य संपदा,
हर फूल में है अपार सुगंध
खुलकर बाहर आने दो
सारे जग में फैलाने दो
सींचना, खाद देना,
हर पल अपने आँखों में
देखना है इन मुन्नों को
खिलने दो
अपने आप
इन नन्हें सुमनों को।
चलने दो
अपने आप
इन नन्हें कदमों को
उठते – गिरते – खिलखिलाते
आगे बढ़ने दो
हर अदम में है ताकत देखो
सारे जग में फिरने – घूमने की,
अपार निधियों की खोज में
चलने दो
अपने आप
जीवन का सुख सार दिखलाने में
मानवता मूर्ति बनने दें।