कविता

वर्तमान संभाल

जो कल बीता सो बीत गया,
बीते कल की चिंता क्यों हो?
बीते कल की चिंता करके,
पल आज का चिंतामय क्यों हो॥
जो सुख पाना था, पा ही लिया,
दुःख का क्षण भी तो बीत गया।
ठोकर से शिक्षा ले लो बस,
भूलो कल को जो बीत गया॥

 

 

कल क्या होगा, कैसे होगा,
अब इसकी चिंता करना क्या?
जब पल का ही विश्वास नहीं,
फिर कल की चिंता करना क्या?
जो सुख किस्मत में मिलना है,
वह सुख जीवन में आएगा।
दुःख की चिंता पहले से कर,
तू उसको टाल न पाएगा॥

 

 

है वर्तमान तेरे बस में,
तू इसको वश में कर सकता।
निज धर्म का पालन करके तू,
सत्कर्म से जीवन भर सकता॥
इस आज के अच्छे कर्मों से,
कल का कलुष धुल सकता है।
आने वाले कल में भी तू, 
जीवन मधुमय कर सकता है॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “वर्तमान संभाल

  • लीला तिवानी

    आज का हाइकु

    भूत सपना
    वर्तमान संभाल
    भावी कल्पना

Comments are closed.