वर्तमान संभाल
जो कल बीता सो बीत गया,
बीते कल की चिंता क्यों हो?
बीते कल की चिंता करके,
पल आज का चिंतामय क्यों हो॥
जो सुख पाना था, पा ही लिया,
दुःख का क्षण भी तो बीत गया।
ठोकर से शिक्षा ले लो बस,
भूलो कल को जो बीत गया॥
कल क्या होगा, कैसे होगा,
अब इसकी चिंता करना क्या?
जब पल का ही विश्वास नहीं,
फिर कल की चिंता करना क्या?
जो सुख किस्मत में मिलना है,
वह सुख जीवन में आएगा।
दुःख की चिंता पहले से कर,
तू उसको टाल न पाएगा॥
है वर्तमान तेरे बस में,
तू इसको वश में कर सकता।
निज धर्म का पालन करके तू,
सत्कर्म से जीवन भर सकता॥
इस आज के अच्छे कर्मों से,
कल का कलुष धुल सकता है।
आने वाले कल में भी तू,
जीवन मधुमय कर सकता है॥
आज का हाइकु
भूत सपना
वर्तमान संभाल
भावी कल्पना