कहानी – प्यार का किरायेदार
आज माया थोड़ी संतुष्ट थी। अभी अभी उसे सुनील का व्हात्सप्प पर विडियो मिला था उसमे वो दिनेश की बहन के साथ एक अन्तरंग क्षणों की स्थिति में था। माया ने इस विडियो के लिए पहली बार सुनील से अपने जिस्म का सौदा किया था ताकि वो पहली बार प्यार के नाम पर उसके जिस्म को इस्तेमाल करने वाले को अपनी मानसिक स्थिति बता सके।
माया ने उसी समय वह विडियो अपने प्यार के किरायेदार दिनेश को फॉरवर्ड किया, उसका नंबर उसे उसकी काल सेंटर कंपनी के एच आर से मिला था और लिखा तुम्हारी बहन भी किसी के प्यार में है। इसके बाद माया पुराने दिनों में खो गई।
करीब सात महीने पहले की बात थी। वह घर के अन्दर किसी काम में व्यस्त थी तो उसकी माँ ने आवाज दी और कहा की एक नया किरायेदार आया है उसे ऊपर का खाली पड़ा कमरा दिखा दे और चाय के लिए पूछ ले। माया बाहर आई तो देखा एक स्मार्ट सा दिखने वाला लड़का खड़ा था उसके कंधो पर बेक पैक बैग लटका था उसकी उम्र करीब २२ या २३ साल रही होगी। माया ने उसकी तरफ ख़ास ध्यान नहीं दिया और उसे उसके पीछे आने का इशारा किया। वह लड़का माया के पीछे पीछे ऊपर छत पर पहुंचा। वहां माया ने एक कमरा खोल दिया और उसे बाथरूम और किचन दिखा दिया। वह लड़का माया को एकटक देखे जा रहा था जबकि माया उसकी तरफ ध्यान ही नहीं दे रही थी। माया वापिस नीचे गई और उसके लिय चाय बना लाई। माया वापिस जाते हुए उससे बोली- कोई जरूरत हो तो आवाज दे देना।
थोड़ी देर में उस लड़के ने आवाज लगाई- हेल्लो कोई है?
माया की माँ बाहर गई हुई थी तो माया उसकी आवाज सुनकर ऊपर पहुंची। ‘माया, मेरा नाम माया है इसी नाम से आवाज लगा सकते हो’- माया ने ऊपर पहुँच कर उस लड़के से कहा। उस लड़के ने कहा की वो आगे से ध्यान रखेगा और उसने भी माया को अपना नाम दिनेश बताया।
दिनेश ने माया को कहा की वो नया है इसलिए उसे इस शहर के मार्किट का नहीं पता अत: उसने माया से उसे मार्किट दिखाने को कहा ताकि वो अपना जरूरत का सामान खरीद सके। माया ने कहा कि उसकी माँ के आने के बाद वो उसे मार्किट ले जायेगी।
जब माया की माँ वापिस आई तो माया ने दिनेश को आवाज लगाई और उसके नीचे आने के बाद वह उसे लेकर मार्किट की तरफ लेकर चल दी। रास्ते में दिनेश ने माया से बहुत बात करने की कोशिश की लेकिन माया ने उसे कोई भाव नही दिया। मार्किट से आने के बाद दिनेश अपना खाना बनाने लगा।
माया ने अपने आप को जब शीशे में देखा तो उसे लगा की समय के साथ वो कितनी बदल गई है वह ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी लेकिन अपने आप में ही व्यस्त रहने के कारण उसे पता ही नहीं लगा कि वो कब सयानी हो गई थी। पिताजी की मृत्यु के बाद अपनी माँ के साथ उसने कंधे से कन्धा मिलकर उसने बचपन से लेकर अब तक का सफर तय किया था। वह हँसना और खेलना तो जैसे भूल चुकी थी। लेकिन दिनेश की नजरों ने उसे आज अपने आप को देखने को मजबूर किया था।
बचपन से ही माँ ने उसे इस निर्मम संसार के बारे में बता दिया था की इस जहाँ में पुरुष केवल लडकियों को गलत निगाह से देखते है और यदि किसी भी पुरुष को मौका मिले तो वह किसी भी लड़की को बर्बाद करने का मौका नहीं छोड़ेगा। यही बात उसने बचपन से अब तक अपने मन में बसा राखी थी। उसे पता था कि मोहल्ले के सारे लड़के उसे बुरी नजरों से ही देखते हैं, लेकिन उसने आज तक उन लडकों की तरफ मुड़कर भी नहीं देखा था।
समय बीता तो दिनेश ने धीरे धीरे माया की माँ की नजरो में अपनी एक संस्कारी लड़के की छवि बना ली थी। दिनेश उसी शहर में एक लोकल कॉल सेंटर में काम करता था।
एक दिन अचानक माया की माँ के पेट में दर्द हुआ, जब माया उनको डॉक्टर के पास लेकर गई तो डॉक्टर ने बताया की उनकी किडनी में स्टोन है और ऑपरेशन करना पड़ेगा। माया जानती थी की माँ इस स्टोन के दर्द को सालों से छिपाए हुए है, लेकिन जैसे जैसे उम्र हो रही है ये दर्द अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है। माया के पिताजी इतनी भी पूँजी नहीं छोड़ गए थे कि वो उसे हारी बीमारी में काम ले सके। माया और उसकी माँ का खर्चा केवल मकान के किराये से ही चलता था। वह कई बार अपनी माँ को कहती थी कि उसे कोई नौकरी करने दो, लेकिन उसकी माँ उसे मना करती रहती थी।
शाम को माया अपनी माँ को हॉस्पिटल से ले आई थी डॉक्टर ने पेन किलर दे दिया था और माया को कहा था कि दो चार दिनों में ऑपरेशन जरूर करा ले वर्ना गंभीर परिणाम हो सकते है।
माया घर के बाहर ही उदास बेठी थी, दिनेश कब आकर ऊपर अपने कमरे में चला गया उसे पता ही नहीं चला। दिनेश ने देखा कि आज माया ज्यादा ही उदास थी। माया की माँ अन्दर कमरे में लेटी थी। दिनेश कपडे बदलकर नीचे माया के पास आया और उससे उदासी का कारण पूछा, माया ने बहुत मना किया, लेकिन दिनेश के जोर देने पर उसने बता दिया कि माँ का स्टोन का ऑपरेशन करना है और उसके पास पैसे नहीं है। दिनेश ने तुरंत माया को कहा कि इतनी सी बात है कल मैं एटीएम से पैसे लाकर दे दूंगा और तुम अपनी माँ का ऑपरेशन करा लेना। माया ने मना किया तो दिनेश ने कहा कि वह ऐसा समझे की ये पैसे मै तुम्हे एडवांस किराया दे रहा हूँ और धीरे-धीरे उसके किराये से कट जायेंगे।
माया ने अपनी माँ को बताया तो उसकी माँ भी ऑपरेशन को तैयार हो गई उसने दिनेश को एक नेक इंसान बताया। अब माया का भी दिनेश के प्रति नजरिया बदलने लगा था उसे लगने लगा की संसार में हर पुरुष गलत नही हो सकता।
माया की माँ का ऑपरेशन हो गया था। कुछ दिनों बाद माया अपनी माँ को हॉस्पिटल से ले आई। इस बीच दिनेश ने माया और उसकी माँ की बहुत सहायता की वह कई बार माया की माँ को देखने हॉस्पिटल भी गया और जब माया घर में अकेली रही तो दिनेश ने माया का भी ध्यान रखा। माया अब दिनेश से पूरी तरह प्रभावित थी।
अब दिनेश किसी ना किसी बहाने माया और उसकी माँ की सहायता करने लगा था कभी वो उनके लिय फ्रूट लाता तो कभी कपडे। अब माया की माँ तो दिनेश को अपना ही बेटा कहने लगी थी और वह माया को कई बार कहती कि ये उनके किसी पिछले जन्म का पुण्य है कि उन्हें दिनेश जैसा किरायेदार मिला। जब भी दिनेश की प्रशंसा होती तो माया मन ही मन खुश होती। अब माया भी ऊपर दिनेश के कमरे में जाकर कभी उसके लिए चाय बनाती और कभी उसके कपडे धो देती। कई बार तो माया दिनेश के आने से पहले उसका खाना तक बना देती थी। माया तो समझती थी की दिनेश जैसा लड़का तो इस संसार में हो ही नही सकता। लेकिन उसे नही पता था कि दिनेश के मन में क्या चल रहा था।
एक दिन सुबह से ही काले बादल छाए हुए थे और दोपहर होते होते मूसलाधार बारिश भी शुरू हो गई थी। बीच बीच में बिजली भी कड़क रही थी जो माहोल को और भी डरावना बना रही थी। माया की माँ को बुखार था इसलिय वह बिस्तर में ही लेटी थी और माया खाना बना रही थी। माया की माँ कह रही थी कि शायद आज तूफ़ान आएगा।
थोड़ी देर में देखा की दिनेश बारिश में भीगता हुआ आया। उसको भीगा देख माया की माँ बोली ‘बेटा जल्दी से कपडे बदल लो नहीं तो बीमार हो जावोगे’| दिनेश ने भी हां भरी और ऊपर चला गया उसने जाते हुए एक अजीब सी मुस्कुराहट से माया को देखा था। माया ने भी वारी जाऊं जैसे भाव दिए। माया ने दिनेश के लिय अपनी रसोई में ही चाय बनाई और माँ को कहकर उसे देने ऊपर चली गई। तब तक दिनेश ने अपने सारे गीले कपडे उतार दिय थे और उसके शरीर पर केवल अंडरवियर ही था। माया ने उसे इस हालत में देखा तो जल्दी से चाय का कप रखा और जाने लगी। तभी दिनेश ने आगे बढ़कर दरवाजा बंद कर दिया। माया उसकी इस हरकत को देख कर थोड़ी चोंक गई। तब तक दिनेश ने उसे अपनी बाहों में भर लिया। माया थोडा सा हिचकिचाई लेकिन अब वह दिनेश से इतना प्रभावित थी की उसने अपने आप को दिनेश के सामने समर्पित कर दिया।
दूर कहीं बिजली कड़क रही थी और माया की माँ ने ठीक ही कहा था की आज तूफ़ान आएगा। जब तूफ़ान रूका तो माया को होश आया। उसकी आँखों में आंसू थे। दिनेश ने माया को उसके कपडे पहनाये और खुद भी कपडे पहने और माया को बाँहों में लेकर प्यार से बोला ‘अरे पगली ये तो मेरा प्यार है में अगले हफ्ते अपने घर कानपुर जाऊंगा और अपने मम्मी पापा से हम दोनों की शादी की बात करूंगा’। इतना सुनकर भी माया संतुष्ट नही दिखी तो दिनेश ने माया के सिर पर हाथ रखकर अपने मम्मी पापा और भगवान की कसम खाई। इतना सुनकर माया थोड़ी संतुष्ट हुई। माया नीचे आ गई लेकिन अपनी माँ से आँख चुराकर अपने कमरे में ही जाकर लेट गई। उसे नींद कहाँ थी अब तो वह दिनेश के साथ शादी करके आज जैसा प्यार पाना चाहती थी।
अब दिनेश और माया किसी ना किसी बहाने मिलते और एकाकार हो जाते। दिनेश भी उसे सपने दिखाता और माया उन सपनो में खो जाती। माया और दिनेश अपने अपने परिवार की बातें करते रहते थे।
एक हफ्ता बीत गया था। एक दिन दिनेश अपना बेक पैक बैग लेकर नीचे आया और जोर से माया की माँ को सुनाकर बोला ‘माँ जी में अपने मम्मी पापा से मिलने कानपुर जा रहा हूँ एक दो दिन में आ जाऊंगा’। माया की माँ ने उसे आशीर्वाद दिया और माया को कहा कि इसे बाहर तक छोड़ आ। माया उठी और दिनेश के साथ चल दी। माया की आँखों में आंसू थे उसने दिनेश का हाथ पकड़ा और कहा दिनेश मुझे धोखा मत देना मैंने अपना तन मन सब तुम्हें दे दिया है और मेरी इज्जत के अलावा मेरे पास कुछ नहीं है’| दिनेश ने उसे आश्वासन दिया और कहा कि वह उसे दुल्हन बनाने के लिए ही तो अपने मम्मी पापा से बात करने जा रहा है और उसका सामान तो अभी ऊपर कमरे में ही है। माया थोड़ी संतुष्ट थी। दिनेश चल दिया और माया उसे नम आँखों से जाते हुए देख रही थी। उसे लग रहा था कि जैसे उसका कलेजा ही बाहर निकल के जा रहा था।
एक हफ्ता बीत गया था दिनेश की कोई खबर नहीं थी। दिनेश के दिए हुए नंबर पर माया ने कई बार फोन किया लेकिन वह आउट ऑफ़ रीच था। अब माया को शक होने लगा था। वह ऊपर गई और दिनेश के कमरे का ताला तोड़कर अन्दर गई तो देखा वहां दिनेश का कोई सामान नहीं था। माया के पैरों की जमीन हिलती नजर आ रही थी किसी तरह उसने अपने आप को संभाला। तभी उसके फोन पर एक अनजान नंबर से व्हात्सप्प विडियो आया। उसे देखकर तो जैसे माया को पूरा कमरा घूमता नजर आया। उस विडियो में वह और दिनेश उस मुद्रा में थे जो उन दोनों ने प्यार के नाम पर बिताये थे। माया का पूरा शरीर पसीने से नहा गया था। उसमे एक मेसेज भी लिखा था कि यदि इस बारे में किसी को भी बताया तो वह इस विडियो को इन्टरनेट पर डाल देगा। जब माया ने उस नंबर पर फोन करना चाहा तो वह ऑफ हो गया था। माया अब समझ चुकी थी कि दिनेश ने उसका सब कुछ लूट लिया था प्यार का किरायेदार बनकर और उसकी माँ की बात सच साबित हो चुकी थी की हर पुरुष इस संसार में औरत और लड़कियों को बर्बाद करने का मौका नहीं छोड़ता।
माया अब किसी भी तरह दिनेश से बदला लेना चाहती थी। उसे दिनेश से की हुई बातों से उसकी बहन के कॉलेज का पता लगा और उसने अपने पड़ोस के सुनील से डील की। माया ने सुनील से किसी भी तरह दिनेश की बहन के साथ प्यार का नाटक करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसका विडियो बनाने को कहा। सुनील के पूछने पर की ये सब करने पर उसे क्या मिलेगा तो माया ने कहा की उसके पास देने को तो कुछ नही है लेकिन उसके बदले वह उसके साथ एक रात गुजार सकता है। सुनील ने तो जैसे लार टपकाई हो वह तो कई सालों से इसी ताक में था कि कब माया के शरीर को पाया जाये। सुनील सब करने को तैयार हो गया था।
तभी माया को एक व्हात्सप्प का मेसेज आया तो वह अपने पुराने दिनों से बाहर आई। मेसेज दिनेश का था और वह उससे माफ़ी मांग रहा था और उसकी बहन का विडियो डिलीट करने को कह रहा था। माया ने उसी समय उस फोन की सिम को निकाला और उसे डैमेज कर दिया।
तभी सुनील आया तो उसने उससे उसका फ़ोन लिया और उसे भी तोड़ दिया। सुनील नाराज हुआ तो माया उसे लेकर ऊपर दिनेश वाले कमरे में गई और उसके साथ हम बिस्तर हो गई। सुनील उसे रौंद रहा था और माया के आँखों में आंसू रुक नहीं रहे थे। जब सुनील चला गया तो वह खड़ी हुई और आईने के सामने जाकर अपने आप से बोली ‘माया ये ही तेरी सजा है और दिनेश ने तुझे प्यार के नाम पर किराया देकर लूटा है ना तो अब तू भी ताकतवर हो जा और अब इस शरीर को किराये पर ही दे ताकि तुझे प्यार करने की सजा मिल सके और कम से कम आगे से अपनी माँ को एक अच्छी जिन्दगी तो दे सके”| माया का चेहरा एकदम सपाट था।
सुबह भोर होने से पहले माया और उसकी माँ ने वह शहर छोड़ दिया था। माँ के पूछने पर माया ने बताया की उसे दूसरे शहर नौकरी मिल गई है। माँ ने भी अपने आप को मनाया और माया के साथ हो ली कि अब दिनेश तो आएगा नहीं और किराया भी नहीं आएगा इसलिय खाने और जिन्दगी चलाने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा। माया का दिल अन्दर से रो रहा था उसने मन ही मन कहा की माँ दिनेश तो किराये के नाम पर उसका सब कुछ लूटकर ले गया था। दूसरे शहर में माया अब अपना शरीर बेचती थी और हर रात मरती थी।
दिनेश अपनी बहन का विडियो डिलीट कराने के लिए माया से मिलने आया, लेकिन माया कहाँ थी किसी को नहीं पता था। अब दिनेश पागल हो गया था उसे अपनी बहन की इज्जत का खतरा था। उसकी मानसिक हालत ख़राब होती चली गई और उसे पागलखाने में भर्ती करा दिया गया।
माया एक स्त्री थी उसने पुरुषों की तरह बदला लेने के लिए दिनेश की बहन का विडियो नहीं बनाया था उसने तो उस विडियो को डैमेज कर दिया था और केवल दिनेश को सबक सिखाने के लिए ही ये सब किया था लेकिन भगवान ने उसे उसके कर्मों की सजा पागल करके दे दी थी।
अब माया मालकिन थी इस पुरुष प्रधान समाज में, अपने जिस्म की और रोज किराया लेती थी तथा अपने आपको सजा देती थी।