नीता जिंदा है ….!
पैतृक गांव के श्मशान घाट से घर लौट कर आते समय ही रमेश का फोन बजा । उसने फोन कान से लगाया ।
दूसरी तरफ से डाक्टर की चहकती हुई आवाज आई , ” बधाई हो रमेश जी , नीता जी की दोनों आँखें (कार्निया) दो लोगों को लग गई है और वह सब कुछ देखने लगे हैं ।विशेष बात तो यह है कि जिस लड़की की आँख बनी है उसका भी नाम नीता है । उसके माता – पिता आपसे मिलकर धन्यवाद कहना चाहते हैं । आप शहर कब आएँगे ? ”
“श्राद्ध होने के बाद । डाक्टर साहब , धन्यवाद के पात्र तो आप हैं, जो आपने सफल आपरेशन किया ।” रमेश अपने मुड़े हुए सिर को खुजलाते हुए बोला।
“मैं नहीं रमेश जी ,बल्कि आपकी पत्नी नीता जी हैं । जिन्होंने अपनी हार्ट की बीमारी जान तुरत फुरत नेत्रदान करने का फैसला कर लिया । मरते समय उनके हाथों में किसी प्रापटी के पेपर नहीं थे बल्कि नेत्रदान करने वाला सर्टिफिकेट था ।
28 वर्ष की उन महिला में अंगदान करने का ऐसा जज्बा मैंने पहली बार देखा है । ईश्वर उनकी आत्मा को सम्मान सहित अपने पास रखेगा ।”
डाक्टर ने आगे कहा , ” आप दूसरी शादी करेंगे या नहीं मुझे नहीं पता लेकिन नीता जी हम सबके लिए हमेशा जिंदा रहेंगी अपनी आँखों के जरिए …..।”