ग़म क्यों है
दुनियाँ में इतने गम क्यों है
हर आदमी परेशान क्यों हैं
यूँ तो हंसते हुए मिलते हैं लोग
फिर अंदर से मायूस क्यों हैं
देखे थे मैंने जो सुंदर सपने
आज वही बेकार क्यों हैं
करते हैं मेहनत दिन रात तो
फिर ये आदमी भूखा क्यों है
करते है सभी ईमानदारी
तो फिर ये भ्रष्टाचार क्यों है
पढाई की है यदि सभी ने
तो फिर ये बेरोजगारी क्यों है
ग़म इतने हो गए हैं दुनियाँ में
तो मेरे ग़म इतने कम क्यों हैं
– रमाकान्त पटेल