लघुकथा

लघुकथा – उत्सव

ज़मींदार करतार सिंह के बड़े बेटे के लड़का हुआ| सारा परिवार बहुत खुश था| करतार सिंह की तो बात ही अलग थी| घर में लड्डुओ के डिब्बे ला रख दिए| सब बधाई देने वालों को खाली हाथ नहीं जाने देना| ये खबर किन्नरों तक भी पहुँच गई|
किंनर बोले, “हम तो मन मर्जी मुताबिक पैसे और सामान लेकर जायेंगे|” करतार सिंह बोला, “तुम रौनक लगा दो, मन मर्जी मुताबिक लेकर जाना| घर का पहला चिराग रोशन हुआ है|” आंगन में खूब ढोल धमाका हुआ| करतार सिंह से किन्नरों ने जो माँगा उसने वही दिया| किंनर खुश हो बोले, “जब फिर लड़का होगा तो बुलाना कभी न भूलना| परिवार को भाग लगे और तेरी खुली नियत को|” करतार सिंह खुशी से बोला, “अगर मेरे घर पोती भी हुई तब भी बुलाऊंगा|” अगले साल छोटे बेटे के लड़की पैदा हुई| दादे ने उसी प्रकार खुशी मनाई और घर के आंगन में किनंरो को बुला कहा, “इस बार पिछले से भी अधिक ही दूँगा, हर बच्चा अपना भाग्य लेकर आता है| इसको खूब बड़ा यादगारी उत्सव बना दो|”

रेखा मोहन १७/१/२०१८

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]