आपाधापी के कूप में
गर्मी का मौसम आते ही बहाता है
पसीने के पनारे
सर्दी का मौसम अपनी मौजूदगी दर्ज़ कराता है
दांत कट-कटाकर प्यारे
वर्षा रानी प्रेम से अपने साथ लाती है
आनंद-जल के धारे,
लेकिन, बसंत ऋतु आती है दबे पांव
महज खामोशी के सहारे.
बसंत आते ही प्रकृति संवर जाती है
रंगबिरंगे फूलों से
नहीं घबराती वह फूलों के संग मिले
कंटीले शूलों से
हरियाली की ताजपोशी से बसंत सज जाता है
खुशहाली के कूलों से
हमको तो इसका आभास ही नहीं होता
महज अपनी
लालसाओं को पूरा करने की
मसरूफियतों और
न कम होने वाली धुंध और सर्दी के
धारदार झूलों से,
ठीक उसी तरह
जिस प्रकार यौवन भी दबे पांव आता है
न जाने कब आता है और चला जाता है
अहसास होने से पहले ही, विदाई का बिगुल
बजा जाता है,
ठीक उसी तरह
जिस प्रकार पहला प्यार भी दबे पांव आता है
न जाने कब-कहां-किससे-कैसे हो जाता है
अहसास होने से पहले ही, शादी की शहनाइयां
बजा जाता है,
ठीक उसी तरह
जिस प्रकार अनुकूल समय भी दबे पांव आता है
न जाने कब-कहां-कैसे खिसक जाता है
आने से पहले बाकायदा देता है दस्तक
लेकिन, सहसा उड़ने को आतुर पंछी की मानिंद
उड़ जाता है.
बिगुल बसंत का भी बजता है
वेलेंटाईन डे के रूप में
शहनाइयां बसंत की भी बजती हैं
वसंत पंचमी के गीतों की
सुनहरी धूप में
दस्तक बसंत भी देता है
महकती हुई अमराई के बौर की महक और
कोयल की कूक में
अपनी मौजूदगी भी दर्ज़ कराता है
होली के हुड़दंग के स्वरूप में
लेकिन, शायद हमें ही सुनने की
फुरसत नहीं होती
हम ही बड़ी शिद्दत से व्यस्त होते हैं जीवन की
आपाधापी के कूप में,
आपाधापी के कूप में,
आपाधापी के कूप में.
आज मां सरस्वती की पूजा का पावन दिवस बसंत पंचमी है. देवी सरस्वती के 6 सबसे खास मंदिर-
1. श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (आंध्रप्रदेश)
2. कोट्टयम का सरस्वती मंदिर (केरल)
3. पुरा तमन सरस्वती मंदिर (बाली)
4. श्रृंगेरी का मंदिर (कर्नाटक)
5. मैहर का शारदा मंदिर (मध्यप्रदेश)
6. पुष्कर का सरस्वती मंदिर (राजस्थान)
लीला बहन , आप धापी के कूप में कविता अछि लगी , मौसम याद करा दिए .अप को भी बसंत पंचमी की शुभकामनाएं .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. यों तो बसंत का मौसम होली तक चलेगा, लेकिन पता ही नहीं चलता कि बसंत ऋतु कब आई, कब गई. अभी बहुत सर्दी है, फिर एकदम गर्मी आ जाएगी. इसी तरह न यौवन के आने-जाने का पता चलता है, न पहले प्यार और सुख के अहसास का. आप को भी बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
दिल्ली में हाड़ कंपाने वाली सर्दी के चलते केवल तिथि से ही पता चला कि बसंत पंचमी आ गई. उसके बाद ही प्रकृति पर नजर गई, तो हरियाली के भी दर्शन हुए और रंगबिरंगे फूलों पर भी. बसंती रंग के फूलों की तो छटा ही निराली है. सबको बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं.