सामाजिक

कुछ तो चल रहा है

कुछ तो चल रहा है। कुछ तो ऐसा है, जिसके कारण लोगों ने आक्रोश दिखाया है। पिछले साल से ही एक बीमारी आई है, कमाल है इस बीमारी का नाम और इलाज भी पता है, लेकिन उसके बावजूद इस समस्या का समाधान निकाला नहीं गया बल्कि थोपा गया, या यूं कहें कि अपनी शक्ति का दुर्लभ प्रयोग किया गया है। मैं बात कर रहा हूं उस बीमारी का जिसका नाम लेते ही सोलह हजार नारियों के जौहर का इतिहास स्मरण हो आता है।
मैं नहीं, हिंदुस्तानियों की दबी – सी आवाज है यह, क्या किसी का नाम बदल देने से उसकी सारी बुराइयां समाप्त हो जाती है, जैसा कि भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म पद्मावती के साथ किया है, माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपनी मंजूरी दे दी है, अगर नाम बदलने से सारी समस्याओं का निराकरण हो रहा है तो भईया जी, दाऊद इब्राहिम भी कल पूछ सकता है भारतीय सिस्टम से, उसका कह सकता है, कि मिलार्ड अगर पद्मावती का नाम पद्मावत कर देने से उसकी सारी खामियां समाप्त हो गई, तो क्या मैं भी अपना नाम दाऊद इब्राहिम से बदलकर जान इब्राहिम रख लूं । क्या मैं ऐसा कर भारत में पुनः प्रवेश कर सकता हूं ।।

✍️ संजय सिंह राजपूत ✍️

संजय सिंह राजपूत

ग्राम : दादर, थाना : सिकंदरपुर जिला : बलिया, उत्तर प्रदेश संपर्क: 8125313307, 8919231773 Email- [email protected]