गीतिका
माना शिखर पर आ गए उपमान बन गए
वह देश के कानून के प्रतिमान बन गए
ले आया समय उनको जमीं पर उतार कर
खुद भाषणो में अपने ही गुणगान बन गए
जो आस्था के युगपुरुष कहलाने चाहिए
आया है कैसा दौर वह व्यवधान बन गए
जिनको तमीज थी नहीं हुक्का बनाएं वह
हमने सुना है लोग वह परधान बन गए
शिक्षा की कमी से यह कैसा दौर आ गया
प्रवचन सुनाने वाले तो भगवान बन गए
— मनोज श्रीवास्तव