लघुकथा

मैं पानी हूँ

“क्या… समझ रखा है… मुझे? मर्द हूँ… इसलिए नीट पीता हूँ… मरद हूँ… मुरद…आ”
ऐसे ही बड़बड़ाते हुए वह सो गया. रोज़ की तरह ही घरवालों के समझाने के बावजूद भी वह बिना पानी मिलाये बहुत शराब पी गया था.

कुछ देर तक यूं ही पड़ा रहने के बाद वह उठा. नशे के बावजूद वह स्वयं को बहुत हल्का महसूस कर रहा था, लेकिन कमरे का दृश्य देखते ही अचरज से उसकी आँखें फ़ैल गयीं, उसके पलंग पर एक क्षीणकाय व्यक्ति लेटा हुआ तड़प रहा था.

उसने उस व्यक्ति को गौर से देखा, उस व्यक्ति का चेहरा उसी के चेहरे जैसा था. वह घबरा गया और उसने पूछा, “कौन हो तुम?”
उस व्यक्ति ने तड़पते हुए कहा, “…पानी…”

और यह कहते ही उस व्यक्ति का शरीर निढाल हो गया. वह व्यक्ति पानी था, लेकिन अब मिट्टी में बदल चुका था.

उसी समय कमरे में उसकी पत्नी, माँ और बच्चों ने प्रवेश किया और उस व्यक्ति को देख कर रोने लगे. वह चिल्लाया, “क्यों रो रहे हो?”

लेकिन उसकी आवाज़ उन तक नहीं पहुंच रही थी.
वह और घबरा गया, तभी पीछे से किसी ने उसे धक्का दिया, वह उस मृत शरीर के ऊपर गिर कर उसके अंदर चला गया. वहां अँधेरा था, उसे अपना सिर भारी लगने लगा और वह तेज़ प्यास से व्याकुल हो उठा. वह चिल्लाया “पानी”, लेकिन बाहर उसकी आवाज़ नहीं जा पा रही थी.

उससे रहा नहीं गया और वह अपनी पूरी शक्ति के साथ चिल्लाया, “पा…आआ…नी”

चीखते ही वह जाग गया, उसने स्वप्न देखा था, लेकिन उसका हलक सूख रहा था. उसने अपने चेहरे को थपथपाया और पास रखी पानी की बोतल को उठा कर एक ही सांस में सारा पानी पी लिया.

और उसके पीछे रखी शराब की बोतल नीचे गिर गयी थी, जिसमें से शराब बह रही थी… बिना पानी की

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी शिक्षा: विद्या वाचस्पति (Ph.D.) सम्प्रति: सहायक आचार्य (कम्प्यूटर विज्ञान) साहित्यिक लेखन विधा: लघुकथा, कविता, बाल कथा, कहानी सर्वाधिक अकादमिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने हेतु तीन रिकॉर्ड अंग्रेज़ी लघुकथाओं की पुस्तक के दो रिकॉर्ड और एक रिकॉर्ड हेतु चयनित 13 पुस्तकें प्रकाशित, 10 संपादित पुस्तकें 33+ शोध पत्र प्रकाशित 50+ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त फ़ोन: 9928544749 ईमेल: [email protected] डाक का पता: 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर-5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) – 313 002 यू आर एल: https://sites.google.com/view/chandresh-c/about ब्लॉग: http://laghukathaduniya.blogspot.in/