खिला खिला ये रूप का गुलाब क्या कहना
खिला खिला ये रूप का गुलाब क्या कहना
निगाह से छलक रही शराब क्या कहना
दयार में कयी हसीन और हैं लेकिन
तुम्हारा बेमिसाल ये शबाब क्या कहना
नज़र उठी तो छोड़ कर गयी सवाल कयी
नज़र झुकी तो हो गयी जवाब क्या कहना
पढ़े जो एक बार बार बार जी चाहे
तुम्हारे रूप की खुली किताब क्या कहना
झुकी हुई कमर गरीब की नही दिखती
मिली जो कुर्सियाँ बने नवाब क्या कहना
गरीब है जवां मगर जवां नही दिखता
जनाब का सियासती रुआब क्या कहना
जनाब तीरगी जहान की मिटाने को
नया उगा रहे हैं आफताब क्या कहना
सतीश बंसल
१७.०२.२०१८