मुक्तक/दोहा माँ प्रवीण माटी 05/03/201805/03/2018 जमीन से जुड़ी हुई है किस्मत मेरी इसलिए मैं आसमान नहीं देखता मेरे हिस्से में मेरी माँ आयेगी इसलिए जायदाद में मिले वो दुकान नहीं देखता