बे वजह मुस्कुरा रहे हो क्यूँ
बे वजह मुस्कुरा रहे हो क्यूँ
जो नही है दिखा रहे हो क्यूँ
होट पर बात है अगर दिल की
तो नज़र को चुरा रहे हो क्यूँ
दर्द आँखों में पढ लिया हमने
दर्द हमसे छुपा रहे हो क्यूँ
झूठ को झूठ क्यूँ नही कहते
रात को दिन बता रहे हो क्यूँ
नाम हमने लिया नही कोई
आप नज़रें झुका रहे हो क्यूँ
बात करके उसूल की साहिब
जुल्म ख़ुद पे ढ़हा रहे हो क्यूँ
साफगोई से बात करते हो
अपने दुश्मन बढ़ा रहे हो क्यूँ
सतीश बंसल
२६.०२.२०१८