कविता

दोस्त…

ऐ दोस्त मेरे
तुम्हारे लिए एहसास
पलते हैं मेरे दिल में

माना दूर हो तुम मुझसे
पर नर्म जज्बात दोस्ती के
भरती है आहें

मिले तो बहुत दोस्त
इस आभासी दुनिया में
पर तुम जैसा नहीं कोई

तुम्हें पाकर
हकीकत में खुश होने लगे
खिलती मुस्कुराती हंसी तुम्हारी
महका देती है
उदासी के हर गंध को

अकेलेपन का साथ हो तुम
जिंदगी की जरूरत है दोस्ती तुम्हारी
भूले से भी दूर ना होना कभी
वर्ना किसी से दोस्ती करना छोड़ देंगे हम।

*बबली सिन्हा

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