“इंतजार उसी का है “
हाले दिल अपना बता ना सके
राजे दिल अपना छुपा ना सके
इंतजार करते रहे सुबह शाम
इंतजार उसी का है जता ना सके
गीत गाता रहा ग़ज़ल सुनाता रहा
पर सुनाना था जिसको सुना ना सके
आंखों से भी कुछ कह ना पाए
जुबां से भी कुछ बता ना सके
सबको मालूम है उसे खबर ही नहीं
बात दिल की उस तक पहुंचा ना सके