मुक्तक/दोहा

रामनवमी पर्व (25 मार्च) के दोहे

हमसे कहता पर्व हर , सदा विनत् हो भाव
अहंकार की लुप्तता, निशिदिन सत्य प्रभाव

धर्म सदा होता विजयी, शुभ-मंगलमय गान
सत्ता-मद होता बुरा, कर देता अवसान

सदा सरल हो आचरण, प्रेमभाव हो संग
तभी खिलेंगे ज़िंदगी, में सचमुच नव रंग

कुंभकरण -रावण मरा, सकल वंश निर्मूल
पर नारी को हर लिया, बहुत बड़ी यह भूल

हर कोई दूषित हुआ, भरा हुआ है मैल
पर्व कहें हमसे यही, गहो सत्य की गैल

राम नाम प्रभुता लिये, रावण में अभिमान
रावण का दुष्कर्म ही, बना पतन-सामान

राम नाम यह कह रहा, जब बढ़ जाता पाप
आते प्रभु ख़ुद ही धरा, हरने को अभिशाप

रावण को जो मारता, वह बन जाता राम
जीतो निज मन को ‘शरद’, निशिदिन सुबहो-शाम

राम नाम में ताप है, लिये हुए है लालित्य
अंधकार को मारकर, बन जाओ आदित्य

गूंजे बस यह शब्द नित, राम-राम बस राम
राम नाम सच में ‘शरद’, मोहकऔ’अभिराम

प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]