कौन हो तुम?
कौन हो तुम? कौन हो तुम?
घन-गर्जन में विद्युत के मिस
स्वयं चमकतीं, जग चमकातीं
चम-चमककर चम-चम करके
जग को दिव्य संदेश सुनातीं
हरतीं व्योम का तम पुञ्ज
कौन हो तुम? कौन हो तुम?
सूरज की किरणों के मिस तुम
कमल दलों को विकसित करके
कुसुम-कुसुम को विकसित करके
देतीं नवजीवन का दान
सुनाओ मुझको भी कुछ तान
कौन हो तुम? कौन हो तुम?
चारु चंद्र की चंद्रिका हो
कुमुदिनी को दे नवजीवन
जग में अमृत-सा बरसाकर
करतीं जन-जन का कल्याण
करातीं अमृत का हो पान
कौन हो तुम? कौन हो तुम?
मानव के उर की आशा हो
हृदय-कमल को विकसित करके
नवजीवन का मंत्र फूंककर
मृत को देतीं जीवनदान
जीवन सहज बनाती हो तुम
कौन हो तुम? कौन हो तुम?
एक ऐसी चमत्कारिक शक्ति भी होती है, जो रहस्यमयी रहकर हमारे अंदर सकारात्मकता का संचार करके हमारा पथ-प्रदर्शन करती है. ऐसी विचित्र शक्ति के चित्र को उकेरती हुई एक रहस्यवादी कविता.