भूख हड़ताल
उसकी भूख हड़ताल उसके परिवार वालों और प्रशासन को अपने आगे झुका देगी, इस परिणाम की जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में एक 14 वर्षीय छात्रा निशा ने कल्पना भी नहीं की थी. उसने तो बस स्वच्छता के महत्त्व को समझा और उसे अमल में लाने के भूख हड़ताल शुरु कर दी.
यह भूख हड़ताल न तो किसी किले के बाहर हुई थी, न जंतर मंतर पर. यह तो घर के अंदर ही हो रही थी. भूख हड़ताल का सबब था घर में शौचालय निर्माण करवाना. एक अपने स्कूल में एक चर्चा के दौरान खुले में शौच से मुक्त इलाकों और शौचालयों के इस्तेमाल के फायदों के बारे में पता चला था. इसी चर्चा के द्वारा निशा की भोर की शुरुआत हुई. इस चर्चा से प्रेरणा लेकर उसने अपने घर में शौचालय निर्माण करवाने की मांग की. जैसा कि हमेशा से होता आया है, पहले किसी भी नई पहल का विरोध किया जाता है. पर बच्ची की भूख हड़ताल पर गौर किया गया, तो वह व्यक्ति, समाज, देश के लिए हितकारी ही थी. इस अभियान में उसके विद्यालय के 35 और छात्रों ने अपने घरों में शौचालयों के निर्माण की मांग की. अब तो गांव-घर के लोगों को अनुकूल कदम उठाना ही पड़ा.
सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत न केवल निशा के घर पर शौचालय (व्यक्तिगत शौचालय) के निर्माण की मंजूरी दी, बल्कि हफ्तेभर के भीतर ही कई घरों में 558 शौचालयों का निर्माण शुरू हो गया. दो दिन की भूख हड़ताल और शुभ संकल्प ने इतना बड़ा काम कर दिखाया था.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा निशा को स्वच्छ भारत मिशन का ‘बाल आदर्श’ बताते हुए निशा को एक स्मृति चिन्ह और किताबों का एक बैग देकर सम्मानित किया गया.
अक्सर भूख हड़ताल में तोड़फोड़ और विध्वंस होता है. यहां कुछ टूटा नहीं, बल्कि परिवार, समाज और प्रशासन जुड़े. इसी जुड़ाव का परिणाम निकला- घरों में 558 शौचालयों का निर्माण शुरू होना. जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में एक 14 वर्षीय छात्रा निशा द्वारा यह स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत का जीवंत आदर्श उदाहरण बना.