कविता – धरती राजस्थान की
कण कण जिसका यश गाता
वह धरती राजस्थान की…..
राणा प्रताप से स्वाभिमानी
पन्ना जैसी स्वामिभक्त यहाँ
भामाशाह से हुए दानी जहाँ
वह धरती राजस्थान की…..
पद्मनी सी सुंदर महारानी
आन बान की जिसने ठानी
मीराँ सी रहती जहाँ ज्ञानी
वह धरती राजस्थान की….
रेत का मरुस्थल जहाँ न्यारा
गोडावण का जोड़ा प्यारा
मिलता जहा पर चिंकारा
वह धरती राजस्थान की…..
बारहमास हरी खेजड़ी
केर बोर जिनके साथी
घणी रुपाली लागे री
वह धरती राजस्थान की…..
— कवि राजेश पुरोहित