स्मार्टफोन
”बबीता, आज आपका बेटा स्कूल क्यों नहीं आया? बिट्टू बता रहा था.” नीता ने बबीता से फोन पर पूछा.
”हां नीता, उसे पेन-पेंसिल पकड़ने में दिक्कत हो रही है, सो डॉक्टर को दिखाने गई थी.”
”डॉक्टर ने क्या कहा?”
”डॉक्टर ने उसे स्मार्टफोन नहीं देने के लिए कहा है.”
”क्यों? स्मार्टफोन से क्या नुकसान होता है?”
”स्मार्टफोन से उंगलियों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं.”
”मैंने भी कहीं पढ़ा था- स्मार्टफोन से बच्चों की पकड़ कमजोर हो रही है जिससे उनके लिखने और चित्रकला जैसे हुनर भी प्रभावित हो रहे हैं. अब क्या करोगी? बच्चों की यह आदत तो छूटनी मुश्किल है.”
”मुश्किल क्या है? दवाई तो लेनी ही पड़ती है न! यह दवाई ही तो है! इसे लेना नहीं छोड़ना है. बच्चे तो कहेंगे, कि हम इससे बहुत कुछ सीखते हैं. उसके लिए हमें समय निकालकर उनको दिखाना-सिखाना होगा. इससे वे सीख भी जाएंगे और
स्मार्टफोन के नुकसान से भी बच जाएंगे, एक बात और अच्छी होगी, कि हमें भी पता होगा, कि वे क्या और क्यों सीख रहे हैं.”
”यह बात तो सही है,” नीता ने सहमति जताते हुए कहा- ” मैं भी बिट्टू को समझाकर स्मार्टफोन से दूर रखूंगी.”
अगले दिन से बच्चों की उंगलियों की मांसपेशियों को कमजोर बनाने की कवायद सुरु हो गई थी. अब दोनों बच्चों के हाथों में इमरजंसी के लिए फोन तो होता था, स्मार्टफोन नहीं.
बहुत दिनों से हमारे सामने एक शोध की रिपोर्ट आ रही थी, जिसका निचोड़ है-
बच्चों की उंगलियां नुकसान से बचानी हैं तो ना दे उन्हें स्मार्टफोन
हमने सोचा, क्यों न्लघुकथा के माध्यम से यह बात सब तक पहुंचाई जाय.