`नाक कट जायेगी” -लघुकथा
पड़ोसी ठाकुर रघुराज सिंह ने` मिली’ की शादी अच्छा घर -बर देख कर कर दी | शादी इतने धूम धाम से की कि उन्हें अपने खेत भी गिरवीं रखने पड़े | `मिली’ ससुराल में दस दिन रहकर आ गई | पति पूरन सिंह बंगलौर अपनी नौकरी में चला गया |
अभी शादी का एक माह ही बीता था कि-“ पूरन ने `मिली को फ़ोन करके बताया कि उसकी तबियत ठीक नहीं रहती और उसे अक्सर बुखार आ जाता है | तुम ऐसा करो कि किसी को लेकर यहाँ आ जाओ ”|
गाँव की लड़की `मिली’ यह बात अपने पिता से कैसे कहती ? फोन पर दोनों की बात होती रहती | एक दिन पूरन सिंह ने उसे अपनी कसम देकर बताया कि -“उसे ब्लड कैंसर है ,इलाज चल रहा है और वह जल्द ठीक हो जाएगा पर तुम किसी को कुछ मत बताना ” | `मिली’ बहुत चिंतित रहने लगी |
अचानक एक दिन ठाकुर रघुराज सिंह को फोन आया कि “पूरन सिंह गुजर गया है ,जल्दी से बहू को लेकर आएं और साथ में सारे गहने भी लेते आएं” |
ठाकुर रघुराज सिंह अपने चार- पांच लोगों को और `मिली’ को लेकर गए | `मिली’ का रो- रोकर बुरा हाल था | वह रोते -रोते बेहोश हो जाती| उसकी ऐसी हालत देख कर भी किसी ने उसे पानी तक नहीं पिलाया और एक कमरे में बंद कर दिया |
ठाकुर रघुराज सिंह यह देखकर समझ गए कि“ हमारी लड़की यहाँ सुरक्षित नहीं है। गहने लेने के लिए उन्हें बुलाया गया है” | अतः रात में मौका देखकर उन्होंने बेहोश लड़की को वहाँ से निकाला और जीप में डाल कर भाग खड़े हुए | लड़के वालों ने बन्दूकेँ लेकर उनका पीछा किया लेकिन उन्हें पकड़ न सके |
`मिली’ के जीवन में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा | वह अक्सर रोती रहती और सोचती रहती कि – “पहाड़- सा जीवन अब कैसे कटेगा ? यह यक्ष प्रश्न उसके मन को अत्याधिक पीड़ा देता और वह फूट -फूट कर रो पड़ती ”|
`मिली ‘ की यह दशा देख कर पिता द्रवित हो जाते किन्तु कुछ करने में खुद को असमर्थ पाते |
एक दिन ठाकुर साहब के एक अज़ीज मित्र ने उनसे कहा -“ मिली की अभी उम्र ही क्या है ? इसकी दूसरी शादी क्यों नहीं कर देते ”?
ठाकुर रघुराज सिंह ने आक्रोश में आकर उत्तर दिया -“ ठाकुरों की परंपरा है कि विधवा लड़की का दूसरा विवाह नहीं होता | हम दूसरी शादी की सोच भी नहीं सकते ,समाज में हमारी नाक कट जाएगी ”|
मित्र सोचने लगा -“ यह कैसी मानसिकता है जो अपनी झूठी शान के लिए परम्पराओं के नाम पर अपनी ही बेटी के जीवन को नरक की भठ्ठी में झोंक रहे हैं ”?
**डॉ. रमा द्विवेदी**