गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

शहर के लोग खुश हैं खातों में पैसा देखकर,
गाव के लोग दंग है घर में नसीब रूठा देखकर
पैसा की पुकार जरूरतों में बने लाचारी आधार ,
आईना याद आया बूढ़ों की तसल्ली इशारा देखकर
आजकल इन्सानियत दिल से निभाता कौन है
जो गिरा उसको नही कोई उठाता बढता देखकर
ज़िन्दगी बनकर हवा चलती हारा देखकर
फिर दुबारा ही नही मिलती ज़माना देखकर
उम्र के साथ निभाते ही मज़बूरियाँ भी बढ़ती हैं,
साहूकार का धमक आना बेमौके कड़कड़ाना देखकर
रखो उम्मीद की किरण न कहो तुम ऐसा
बिक रही है न्याय की कुर्सी भी पैसा देखकर

रेखा मोहन १३/४/१८

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]