कविता

दिल आखिर दिल है

दिल आखिर दिल है
कभी मचल जाता है
कभी उछल जाता है
कभी हँसता है
कभी रोता है
क्योंकि
दिल बहुत नाजुक होता है,
दिल से दिल मिल जाये
तो बात बन जाती है,
दिल से दिल न मिले
तो बात बिगड़ जाती है,
दिल को दिल से लगा के रखो
सीने में अपने छुपा के रखो
क्योंकि
यह दिल आप की जान है.
दिल धड़कना ही
ज़िंदगी की पहचान है ,
आपका दिल किसी की अमानत है
किसी का दिल आपकी जमानत है,
यह अमानत ही सबसे प्यारा रिश्ता है,
एक दुसरे के प्रति
पूर्ण समर्पण की निष्ठां है
इसीलिए
दिल को सीने से लगा के रखो
सीने में अपने छुपा के रखो
इसे ऐसे न उछालो ,
मचल जाये तो सम्भालो
रूठ जाये तो मना लो
क्योंकि
दिल तो आखिर दिल है!

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845