पसीने से जब जब नहाती है गर्मी
पसीने से जब-जब नहाती है गर्मी।
हवाओं से हमको मिलाती है गर्मी।
उगे-भोर, चिड़िया बनी चहचहाती
चमन की तरफ लेके जाती है गर्मी।
पकड़ हाथ चलती है फुलवारियों में
झकोरों से झूला झुलाती है गर्मी।
छतों पर सितारों की छाया में शब भर
सरस रागिनी गा सुलाती है गर्मी।
विजन वन में पेड़ों की बन छाँव सुखकर
महक के गलीचे बिछाती है गर्मी
अगम झील में, ताल में, नाव खेकर
धवल धार-जल में घुमाती है गर्मी।
पहाड़ों पे, फूलों-भरी वादियों में
हमें देके न्यौता बुलाती है गर्मी।
पिला जूस, लस्सी या नींबू शिकंजी
तपन की चुभन से बचाती है गर्मी।
डरें ‘कल्पना’ क्यों भला गर्मियों से
कि राहत भी लेकर ही आती है गर्मी।
-कल्पना रामानी
बहुत बहुत धन्यवाद सविता जी
बहुत सुंदर
हार्दिक आभार तिवारी जी
bahut badhiya .._/\_