तभी मैं लिखता हूँ….
जब मन करता है तभी मैं लिखता हूँ
अपने आप से ही बातें करता हूँ
एक बार जो लिख गया कभी नहीं मिटता
जिंदगी भर के लिए यही याद रहता
कुछ हवा के झोंके आकर चले जाते हैं
हजारों गम हों साथ , हम मुस्कुराते हैं
खूब हँसते हैं मुझ पर जमाने वाले
बहुत मिल जाते हैं मुझे आजमाने वाले
लेकिन जिंदगी कभी तो मोड़ लेगी
मुझे इस जमाने के साथ जोड़ देगी
कब क्या हो जाये कोई नहीं जानता
मैं कौन हूँ मुझे कोई नहीं पहचानता
ये कविताऐं ही मेरा परिचय देंगी
यही तो जीवन भर के लिए याद रहेंगी
इन्हीं से तो मैं बहुत कुछ सीखता हूँ
जब मन करता है तभी मैं लिखता हूँ
– रमाकान्त पटेल