सपना
क्यों होता है मेरे मनवा तू बेकल
कोई सपना बुन लेना फिर तू इक कल
मध्यम पड़ जाए ये सूरज भी तुझसे
बादल को अपना तू कर लेना आँचल
चाहत की राहें मत समझो तुम आसां
करना सपनो को भी पड़ता है घायल
प्रीत निभानी है तुझको मेरे हमदम
बरसाना थोड़े से तू आँसू बादल
वो तोड़ न पाएंगे चाहत की रस्में
कर देंगे उनको हम यूँ अपना कायल
रंग ली है धानी मैंने चुनरी अपनी
कारी बदरी को माना मैंने काजल
जागी जागी सी क्यों लगती हैं रातें
फैलाया है किसने यादों का आँचल
कितना देखो मुश्किल है मेरा जीवन
साथ तुम्हारा कर देगा आसाँ हर पल।
— प्रिया