माँ !
माँ तो बस माँ होती है
इतना ही जानता हूँ मैं!
ममता के सुखद सपर्श
बस पहचानता हूँ मैं!
माँ बिन कहे सब जाने
माँ को रब मानता हूँ मैं!
माँ तो बस माँ होती है
इतना ही जानता हूँ मैं!
सबकी अपनी परिभाषा है!
अद्भुत सी अभिलाषा है!
माँ के आसपास बस
तीर्थ सब मानता हूँ मैं!
माँ तो बस माँ होती है
इतना ही जानता हूँ मैं!
सुबह से देर रात तक
हम सोएं उसके बाद तक!
हर पहर हम पर है अर्पन
माँ हम में ही देखे दर्पन!
हम खुश वो खुश हो जाए
उसको ही मानता हूँ मैं!
माँ तो बस माँ होती है
इतना ही जानता हूँ मैं!
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !