कविता

कविता – कोई मंजिल नही

रोशनी है हर तरफ मगर दिखता कुछ भी नही।
चल रहा हूँ बहुत तेज मगर मंजिल कहाँ पता नही।।
जाने ये थके कदम कब रुक जाएंगे पता नही।
थकान है चलने की बहुत पर मैं पहुचा कही नही।।
प्यास लगी है बहुत पर पानी की एक बूंद भी पास नही।
जी रहा हूँ पर जीते रहने की आस कुछ नही।।
है उम्मीदों का सारा समंदर साथ मेरे।
पर दिखता नही लहरों के सर पर हाथ कोई।।
खुले बाजार में खुद को रखकर बैठा हूँ।
लेकिन सच्चाई का कोई खरीदार नही।।
रोशनी है हर तरफ मगर दिखता कुछ भी नही।।
— नीरज त्यागी

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- [email protected] एवं [email protected] ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)