हिस्सा
सत्तर वर्षीय बुजुर्ग महिला कई दिनों से अपने बड़े बेटे के साथ अथॉरिटी के चक्कर लगा रही है. आज भी वह अथॉरिटी के चक्कर लगा-लगाकर थककर चूर हो गई है और लेट गई है. वह रह-रहकर उस घड़ी को कोस रही है, जब उसका परिवार 28 साल पहले एक बच्चे को सड़क से उठाकर अपने घर लाया, पाला-पोसा, स्कूल में दाखिला करवाया और अपना मुंहबोला बेटा माना. बचपन में स्कूल में दाखिला कराने के लिए उसके फॉर्म में मां-बाप की जगह अपना और पति का नाम लिखवा दिया. बच्चा कुछ समय उनके साथ रहा, फिर किसी अनाथालय में इंतजाम हो गया, उसके बाद कभी उनके साथ रहता, कभी अनाथालय में. इसी तरह वह बड़ा हो गया. उसकी जरूरत और अपनी हैसियत के अनुसार वे उसकी आर्थिक मदद भी करते रहे. उसकी शादी भी हो गई है.
वह पिछले दो साल से प्रॉपर्टी में बराबर का हक मांग रहा है. प्रॉपर्टी में बराबर का हक लेने के लिए अथॉरिटी में भी एक फाइल में ऐप्लिकेशन लगा दी है, जिसमें युवक ने अथॉरिटी में दी गई ऐप्केलिशन में खुद को इनका गोद लिया हुआ बच्चा बताया है.
नेक परिवार की नेकी का फायदा अब युवक अपनी बदनीयती के लिए उठा रहा है.