कविता

भारत निर्माण

जिस दिन भ्रष्ट,नीच दुष्कर्मी,फाँसी पर लटकाये जाएंगे ।
ठीक  उसी  दिन  भारत  में फिर  से अच्छे दिन आएंगे ।
आरक्षण  दीनों  को होगा,बाकी प्रतिस्पर्धा एक समान ।
उसी दिवस  होगा  भारत का, मित्रो सच नूतन निर्मान ।।

– नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

नवीन श्रोत्रिय 'उत्कर्ष'

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