स्वागत
जीत के ढोल नगाड़े बजाते हुए वह लोग दरवाज़े पर आ गए।
“बेदाग छुड़ा लाया तुम्हारे बेटे को। स्वागत करो इसका।”
दरवाज़े पर थाली लिए खड़ी रुक्मणी ने अपने पति की आज्ञा का पालन करते हुए बेटे को तिलक लगाया।
स्वागत के बाद वह अपने कमरे में आ गई। घुसते ही आदम कद आईने में खुद की छवि दिखाई दी। उसने आँखें नीची कर लीं।
धन बल ने फिर एक लड़की की लुटी हुई अस्मत का तमाशा बना दिया था।