तुम्हारे प्यार का शुभकामनाओं का असर है ये
तुम्हारे प्यार का शुभकामनाओं का असर है ये
सलामत हूँ तुम्हारी ही दुआओं का असर है ये
कली मुस्का रही है पतझरों में खिल रहे हैं गुल
यकीं मानो मुहब्बत की हवाओं का असर है ये
मेरा हमदम मेरी तनहाईयों में लौट आया है
नही कुछ और धड़कन की सदाओं का असर है ये
भुलाकर मान मर्यादा मची जो लूट सत्ता की
मियाँ खुदगर्ज होते रहनुमाओं का असर है ये
धरम के नाम पर जो बढ़ रही है दरमियाँ दूरी
सिमटती सोच मरती भावनाओं का असर है ये
जवां होने लगी है धड़कनों में जो तमन्ना फिर
तुम्हारे हुस्न का दिलकश अदाओं का असर है ये
बिखरते टूटते रिश्ते बढ़ा इतना अकेलापन
समर्पण में कभी घटती वफ़ाओं का असर ये
सतीश बंसल
१८.०५.२०१८