गीतिका/ग़ज़ल

तुम्हारे प्यार का शुभकामनाओं का असर है ये

तुम्हारे प्यार का शुभकामनाओं का असर है ये
सलामत हूँ तुम्हारी ही दुआओं का असर है ये

कली मुस्का रही है पतझरों में खिल रहे हैं गुल
यकीं मानो मुहब्बत की हवाओं का असर है ये

मेरा हमदम मेरी तनहाईयों में लौट आया है
नही कुछ और धड़कन की सदाओं का असर है ये

भुलाकर मान मर्यादा मची जो लूट सत्ता की
मियाँ खुदगर्ज होते रहनुमाओं का असर है ये

धरम के नाम पर जो बढ़ रही है दरमियाँ दूरी
सिमटती सोच मरती भावनाओं का असर है ये

जवां होने लगी है धड़कनों में जो तमन्ना फिर
तुम्हारे हुस्न का दिलकश अदाओं का असर है ये

बिखरते टूटते रिश्ते बढ़ा इतना अकेलापन
समर्पण में कभी घटती वफ़ाओं का असर ये

सतीश बंसल
१८.०५.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.