सियासत में हरा या गेरुआ कब तक चलेगा
सियासत में हरा या गेरुआ कब तक चलेगा
मुसलसल दर्द का ये सिलसिला कब तक चलेगा
किसी को फ़िक्र है ये ज़िन्दगी कब तक चलेगी
किसी की सोच उसका दबदबा कब तक चलेगा
जिसे भी देखिये उसके मुखौटे पर मुखौटा
कहो इस हाल में रिश्ता भला कब तक चलेगा
बहुत है तीरगी उस पर बिछें हैं ख़ार पथ में
मुसाफ़िर पाँव नंगे रास्ता कब तक चलेगा
धरम के नाम पर जो खूँ बहाते हैं बताओ
नही इंसान वो हमको पता कब तक चलेगा
किसी के फैसलों को ले रहा है और कोई
सियासत में पदों का ये नशा कब तक चलेगा
खड़ा लाचार सच अफ़सोस में यह सोचता है
बदी के साथ आख़िर काफिला कब तक चलेगा
सतीश बंसल
१७.०५.२०१८