गीतिका/ग़ज़ल

सियासत में हरा या गेरुआ कब तक चलेगा

सियासत में हरा या गेरुआ कब तक चलेगा
मुसलसल दर्द का ये सिलसिला कब तक चलेगा

किसी को फ़िक्र है ये ज़िन्दगी कब तक चलेगी
किसी की सोच उसका दबदबा कब तक चलेगा

जिसे भी देखिये उसके मुखौटे पर मुखौटा
कहो इस हाल में रिश्ता भला कब तक चलेगा

बहुत है तीरगी उस पर बिछें हैं ख़ार पथ में
मुसाफ़िर पाँव नंगे रास्ता कब तक चलेगा

धरम के नाम पर जो खूँ बहाते हैं बताओ
नही इंसान वो हमको पता कब तक चलेगा

किसी के फैसलों को ले रहा है और कोई
सियासत में पदों का ये नशा कब तक चलेगा

खड़ा लाचार सच अफ़सोस में यह सोचता है
बदी के साथ आख़िर काफिला कब तक चलेगा

सतीश बंसल
१७.०५.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.