ग़ज़ल
ये न सोचो कि हम पराए हैं
तेरी खातिर जमी पे आए हैं।
एक पल के लिए करीब तो आ
तेरी खातिर वफा के साए ह़ै।
छेड़ कर तार यू़ं मेंरे दिल के
दर्द इस दिल में कुछ जगाए हैं।
हम तुम्हारे हैं एतबार तो कर
तेरे लिए दर्द ए दिल जगाए हैं ।
कभी मिलोगे हाल कह देंगे
अभी तो दिल में सब छुपाए हैं।
कभी आएगा जानिब है इंतजार तेरा
तेरी राहों मे खुली ये मेरी बाहें हैं।
— पावनी