वो जादुई आँखें भुलाए नहीं भूलती !
वो जादुई आँखें भूलाये नहीं भूलती !
वो अल्हड़ सी बातें
वो न खत्म होती रातें
क्या कशिश थी उनमें
वो कारी कजरारी आँखें
वो महकते मुस्काते ख्वाब
जाने क्या होगा तुम्हारा जवाब
संकुचित मन कहे दिल की सुन
सुबह साँझ बस यही उधेड़बुन
आकर दूर तुमसे ये सोचता हूँ
बात दिल की अब बोलता हूँ
वो जादुई आँखें भूलाए नहीं भूलती ।