कविता

वो जादुई आँखें भुलाए नहीं भूलती !

वो जादुई आँखें भूलाये नहीं भूलती !
वो अल्हड़ सी बातें
वो न खत्म होती रातें
क्या कशिश थी उनमें
वो कारी कजरारी आँखें
वो महकते मुस्काते ख्वाब
जाने क्या होगा तुम्हारा जवाब
संकुचित मन कहे दिल की सुन
सुबह साँझ बस यही उधेड़बुन
आकर दूर तुमसे ये सोचता हूँ
बात दिल की अब बोलता हूँ
वो जादुई आँखें भूलाए नहीं भूलती ।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |