तहे दिल से उसूलों की हिफ़ाजत ख़ूब की होगी…
तहे दिल से उसूलों की हिफ़ाजत ख़ूब की होगी
तुम्हारा दर्द कहता है मुहब्बत ख़ूब की होगी
मिली है मुफ़लिसी जिसको हुनरमंदी के बावाजूद
मियाँ उसने बुराई से बग़ावत ख़ूब की होगी
जिसे तूफ़ान में भी मिल गया साहिल सदा उसने
दिलो जां से ख़ुदा तेरी इबादत ख़ूब की होगी
किसी का दिल अचानक ही किसे हमराह करता है
मिली होगी नज़र ने फिर शरारत ख़ूब की होगी
कली जो फूल बनकर खिल रही आज गुलशन में
यक़ीनन ख़ार ने इसकी हिफ़ाजत ख़ूब की होगी
अलग है बात की वो बात ही समझे नही वरना
नमी ने आँख की उनसे शिकायत ख़ूब की होगी
बताता है तुम्हारी कामयाबी का सफ़र हमको
ज़माने ने कभी तुमसे अदावत खूब की होगी
सतीश बंसल
०३.०६.२०१८