गीतिका/ग़ज़ल

दर्द ग़म आँसू निराशा और तनहाई मिली…

दर्द ग़म आँसू निराशा और तनहाई मिली
कोशिशो के बाद भी हर बार रुसवाई मिली

यूँ लगाया था गले भी मुस्कुराकर यार ने
पर लगा मुझसे फ़कत बस उसकी परछाई मिली

था बहारों का हँसी मौसम मगर तेरे बिना
बाग में मुरझा गयी हर एक अमराई मिली

एक मुद्दत बाद निकला सैर को तो आज भी
प्यार की खुशबू लिये तैयार पुरवाई मिली

हर किसी का प्यार उथली झील सा निकला मगर
प्यार में माँ के मुझे सागर सी गहराई मिली

आशनाई की बहुत हमने हमेशा आपसे
और हमको आपसे हरदम शनासाई मिली

सिर्फ़ बातें और बातें सुन सियासतदानों की
बस निराशा से भरी बेचैन तरूणाई मिली

सतीश बंसल
०७.०६.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.