दर्द ग़म आँसू निराशा और तनहाई मिली…
दर्द ग़म आँसू निराशा और तनहाई मिली
कोशिशो के बाद भी हर बार रुसवाई मिली
यूँ लगाया था गले भी मुस्कुराकर यार ने
पर लगा मुझसे फ़कत बस उसकी परछाई मिली
था बहारों का हँसी मौसम मगर तेरे बिना
बाग में मुरझा गयी हर एक अमराई मिली
एक मुद्दत बाद निकला सैर को तो आज भी
प्यार की खुशबू लिये तैयार पुरवाई मिली
हर किसी का प्यार उथली झील सा निकला मगर
प्यार में माँ के मुझे सागर सी गहराई मिली
आशनाई की बहुत हमने हमेशा आपसे
और हमको आपसे हरदम शनासाई मिली
सिर्फ़ बातें और बातें सुन सियासतदानों की
बस निराशा से भरी बेचैन तरूणाई मिली
सतीश बंसल
०७.०६.२०१८