गीतिका/ग़ज़ल

यक़ीनन आपकी शुभकामनाओं का असर है ये…

यक़ीनन आपकी शुभकामनाओं का असर है ये
मिली है मंजिलें केवल दुआओं का असर है ये

अचानक ख़ुशबुओं से हो गयी हर साँस तर मेरी
उन्ही का गात छू आई हवाओं का असर है ये

दिखाई दे रहा है रब हमें बेजान पत्थर भी
अकीदत का असर है आस्थाओं का असर है ये

जिन्हें मुद्दत हुई छूटे वही गलियाँ लगीं अपनी
जो तुमने दी मुझे दिल से सदाओं का असर है ये

न थी उन्मीद जिसके लौटने की लौट आया वो
मुहब्बत का मेरी सच्ची वफ़ाओं का असर है ये

तुम्हें जब देखता हूँ तो ज़माना भूल जाता हूँ
तुम्हारे हुस्न का रंगीं अदाओं का असर है ये

जहाँ भी देखिये नफ़रत जहाँ भी देखिये दंगा
सियासत के दिये नकली ख़ुदाओं का असर है ये

सतीश बंसल
०९.०६.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.