खट्ठा-मीठा : चोरी मेरा काम
पहले चारा चोर, बैसाखी चोर और मिट्टी चोर ही प्रसिद्ध थे। अब इस गौरवशाली परम्परा में एक नया नाम जुड़ा है “टोंटी चोर” का। ये जनाब मुल्ला यम सिंह के नूरे-नजर हैं और कुछ समय पहले तक नमाजवादी पार्टी से उल्टे प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।
मुख्यमंत्री बनते ही अपनी पहली बड़ी समाजसेवा उन्होंने यह की कि बिजली चोरों को कटिया डालने की खुली छूट दे दी। वे नमाजवादी वोटों से जीते थे, इसलिए नमाजवादियों का धंधा जारी रखना उनका पहला कर्तव्य था। प्रदेश की अर्थव्यवस्था का सत्यानाश होता हो तो हो जाये, उनकी बला से। बस नमाजवादी नाराज नहीं होने चाहिए।
वे एक महलनुमा बंगले पर कब्जा करके इस तरह बैठे थे जैसे कि वह बंगला उनके वालिद साहब का है। वैसे उनके पूज्य पिताजी भी इसी तरह बगल वाले बडे बंगले पर कुंडली जमाये हुए थे। वह तो भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसने उन जैसों से बंगले खाली कराने का आदेश निकाल दिया। यहाँ भूतपूर्व पहलवान जी का कोई दाँव-पेंच काम नहीं आया और उनको बंगले छोड़ने पड़े।
लेकिन छोड़ते-छोड़ते भी वे वहाँ अपने पदचिह्न बना गये और बंगले से एसी, कूलर, पंखे, टीवी, फ़र्नीचर ही नहीं, टाइलें और टोंटियाँ तक खोल ले गये, जैसे वह सारा माल उनके बाप का हो और प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई के ४२ करोड़ खर्च न हुए हों। चोरों को कुर्सी पर बिठाने से यही फ़ायदा होता है कि वे हर जगह अपना काम कर जाते हैं।
— बीजू ब्रजवासी
ज्येष्ठ द्वितीय शु ९, सं २०७५ वि (२२ जून २०१८)