मस्त फुहारों का मौसम सब चाह रहे
मस्त फुहारों का मौसम सब चाह रहे,
सावन आया आहट आपकी चाह रहे।
कहाँ छुपे हो स्यामल जलद हमारे जी,
झूम के बरसो कृषक बंधु अब चाह रहे।।
हुआ तुम्हे क्या सखा जलाद बतला देना,
कुछ त्रुटी हुई हो पवन बन्धु कहला देना।
हाँथ जोड़कर विनती आप ही हैं जीवनाधार,
मेरे खेतों में भी वर्षा के बादल टहला देना।।
धूल उड़ रही खेतों में कीचड़ अब होना चाहिए,
फसल उगानी है जलद बारिस अब होना चाहिए।
कंक्रीट के सघन वनों से निकल कर अम्बुधर,
भूमिपुत्र की कर्मस्थली बरसात अब होना चाहिए।।
भोले, शंकर, शम्भु, त्रिलोचन, महादेव मैं जप रहा,
नाथो के नाथ ना करो अनाथ संताप अनल तप रहा।
सावन आया झूम के बारिस प्रभु जलद बिना ना होवे है,
शिव करो शिव हम सबका प्रभु नाम आपका जप रहा।।
— प्रदीप कुमार तिवारी
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045