मत कहो कि ”कुछ नहीं हो सकता”
क्यों कहते कुछ नहीं हो सकता?
चाहो तो सब कुछ हो सकता,
कोशिश तो करो मन से प्यारो,
मत कहो कि ”कुछ नहीं हो सकता”.
तुम रक्तदान कर सकते हो,
तुम चक्षुदान कर सकते हो,
चिपको आंदोलन फिर से छेड़,
पेड़ों को बचा तुम सकते हो.
नारी अस्मिता का बीड़ा ले,
नारी-रक्षा कर सकते हो,
परिवार में सद्भावना बढ़ा,
उसको मधुरिम कर सकते हो.
क्यों कहते कुछ नहीं हो सकता?
चाहो तो सब कुछ हो सकता,
कोशिश तो करो मन से प्यारो,
ये कहो कि ”सब कुछ हो सकता”.
लीला बहन , कविता बहुत अछि लगी ,,कोशिश तो करो मन से प्यारो,
ये कहो कि ”सब कुछ हो सकता”.सही बात है ,कोशिश करने से सभ कुछ हो सकता है .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको कविता बहुत अच्छी लगी. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
मनुष्य में असंख्य संभावनाएं हैं. एक बार वह हौसले की पतवार संभाल ले, तो उसकी नैय्या अवश्य पार हो सकती है.
आफत आए, तो धीरता से शेर बन जाएं,
न हिचकें न घबराएं,
परिस्थितियां हों ‘गर भारी,
तो भीगी बिल्ली बन जाएं,
सूझबूझ और चालाकी से फ़तह पाएं.