मुसाफिर बेखबर न होना
रात का सफर है,
मुसाफिर बेखबर न होना।
है दूर अभी मंज़िल,
मीठी नींद नही सोना।
करने को काम कितने,
कहने को बात भी हैं।
कुछ ही कदम है चाहे,
मनमीत साथ भी है।
सुरभित फूलमालों से
आँचल भरेगा तेरा।
है कुछ ही देर बाकि,
होने को है सवेरा।
विश्वास मन में रखना,
धीरज नही तू खोना।
है दूर अभी मंज़िल,
मीठी नींद नही सोना।
पथरीली पगडंडी है,
भय न मन में लाना।
क्या साथ रहे हरदम,
क्या खोना क्या पाना।
बस तोड़ के बढ़ा चल,
निराशाओं का घेरा।
ज्यों नीड़ बना फिर फिर,
पँछी करें बसेरा।
तू मन के धरातल पे,
आशा के बीज बोना।
है दूर अभी मंज़िल,
मीठी नींद नही सोना।