कांवड़िया कांवड़ लाए हैं
चलो शिवशंकर के द्वारे, कांवड़िया कांवड़ लाए हैं
कांवड़िया कांवड़ लाए हैं, कांवड़िया कांवड़ लाए हैं-
1.शिव की जटा में गंगा-धारा, कांवड़ में गंगाजल प्यारा
दोनों का मेल कराएंगे कांवड़िया कांवड़ लाए हैं-चलो शिवशंकर——————-
2.श्रद्धा से गंगाजल लाए, पैदल-पैदल चलते आए
प्रेम से प्रभु को चढ़ाएंगे कांवड़िया कांवड़ लाए हैं-चलो शिवशंकर——————-
3.शिव भोले का रूप निराला, आनंद-मंगल करने वाला
प्रभु मन को महकाएंगे कांवड़िया कांवड़ लाए हैं-चलो शिवशंकर——————-
4.आओ प्रभु के दर्शन करलें, खुशियों से जीवन-घट भरलें
प्रभु आशीष बरसाएंगे कांवड़िया कांवड़ लाए हैं-चलो शिवशंकर——————-
(तर्ज़-सखी मिल मंगल गाओ री, हमारे घर राम आए हैं———–)
सावन के महीने में कांवड़िया कांवड़ में गंगाजी से जल भरकर लाते हैं और उससे शिवजी का अभिषेक करते हैं. वे कांवड़ लेकर गाते-बजाते चलते हैं, उनके लिए रास्ते भर में खाने-पीने-रहने के विशेष प्रबंध किए जाते हैं. इसी अवसर पर प्रस्तुत है एक कांवड़-भजन.