सामाजिक

गंगा क्यों मैली हो रही?

आज का सबसे ज्वलंत प्रश्न है- गंगा क्यों मैली हो रही? और गंगाएं क्यों मैली हो रहीं? गंगा क्यों मैली हो रही? इस पर हम जब-तब विचार प्रकट करते रहे हैं, आज भी करेंगे, लेकिन पहले बात घोल-बोल की तथा कुछ अन्य बातें.

मुंबई में शुक्रवार को दो मछुआरे भाई रोज की तरह पालघर समुद्रतट पर मछलियां पकड़ने गए थे. यहां उनके जाल में 30 किलो की घोल मछली फंस गई और यह मछली 5.5 लाख रुपये में बिकी. बताया जा रहा है कि काफी लंबे समय बाद यहां से कोई घोल मछली मिली है. महेश और उनके भाई द्वारा पकड़ी गई घोल फिश की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई. सोमवार को जब तक वे समुद्र के किनारे पहुंचते किनारे पर व्यापारियों की लंबी लाइन लगी थी. दोनों के आते ही घोल मछली की बोली शुरू हुई. बीस मिनट में यह बोली खत्म हो गई और इसे 5.5 लाख रुपये में एक व्यापारी ने खरीद लिया. इसे कहते हैं किस्मत का खेल.
अपील की शक्ति देखिए-
गुजरात में मंदिर के लिए पाटीदार समुदाय ने 3 घंटे के अंदर जुटाए 150 करोड़ रुपये.

गुजरात के अहमदाबाद में विश्व उमिया फाउंडेशन के उद्घाटन समारोह में लोगों ने खूब दान किए. रविवार को यहां पाटीदार समुदाय ने तीन घंटे के अंदर 150 करोड़ रुपये जुटाए, यानी हर घंटे यहां 84 लाख रुपये आए. यहां 40 एकड़ पर विश्व उमियाधाम मंदिर और सामुदायिक कॉम्प्लेक्स बन रहा है, जिसके लिए रुपये जमा करने की अपील की गई थी. इस प्रॉजेक्ट को साल 2024 तक पूरा होना है.
अपना हाथ, जगन्नाथ

अपना हाथ, जगन्नाथ महज एक मुहावरा ही नहीं, जीवन की सच्चाई है. बात दिल्ली की है. घर के सामने से पत्नी का मोबाइल फोन चुराकर भागने वाला सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ. फुटेज में आरोपी की स्कूटी दिखी, जिस पर दिल का स्टिकर था. पति ने ठान लिया कि फोन चुराने वाले को पकड़कर मानूंगा. उन्होंने अपने मोहल्ले के आसपास के शराब के ठेकों में तीन दिन चक्कर काटे. आखिरकार कामयाबी मिली. पति ने दिल के स्टिकर वाले स्कूटी सवार चोर को दबोचा. पब्लिक को पता चला तो उसने भी पीटा. बाद में चोर को सब्जी मंडी पुलिस के हवाले कर दिया गया.
सोशल मीडिया से सीखना-
हम सोशल मीडिया से बहुत कुछ सीखते हैं, चिड़ियां भी सोशल मीडिया से बहुत कुछ सीखती हैं. बातें सुनते-सुनते दूसरी प्रजातियों की ‘भाषाएं’ सीखती हैं चिड़ियां. ऑस्ट्रेलिया की छोटी सी चिड़िया ‘फेरी रेन’ दूसरी चिड़ियाओं की भाषा को पैदा होते ही नहीं समझती, लेकिन वह कुछ महत्वपूर्ण शब्दों के अर्थ को बहुत अच्छे से समझ लेती हैं. यह अध्ययन करंट अफेयर्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

खुशखबरी-
मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए यह एक खुशखबरी हो सकती है. जल्द ही मोटापा कम करने के लिए वैक्सीन यानी टीका विकसित किया जा सकता है. जी हां, ऐसा इसलिए संभव हो पाएगा, क्योंकि वैज्ञानिकों ने मोटापा और संक्रामक रोग फैलाने वाले वायरस के बीच लिंक होने का सबूत पाया है.

शाबाश बच्चो-
कोटिफ कप: 5 हीरो जिन्होंने भारत को अर्जेंटीना U-20 टीम के खिलाफ दिलाई जीत
भारतीय अंडर-20 टीम ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए कोटिफ कप फुटबॉल टूर्नमेंट के मुकाबले में 6 बार की फीफा अंडर-20 वर्ल्ड कप चैंपियन टीम अर्जेंटीन को 2-1 से हरा दिया. टीम की इस ऐतिहासिक जीत में ये 5 खिलाड़ी हीरो बने-
अमरजीत सिंह कियाम, प्रभजोत सिंह गिल, दीपक टांगरी, अनवर अली, बोरिस सिंह.
गंगाएं क्यों मैली हो रही हैं?
आप सोच रहे होंगे, कि गंगा क्यों मैली हो रही, पर बात करना हम भूल गए हैं, पर हम भूले नहीं हैं. अभी भी गंगा क्यों मैली हो रही? से पहले बात गंगाओं के क्यों मैली होने की. पहले बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में गंगाओं के मैली होने का पर्दाफाश हुआ, फिर उत्तर प्रदेश के देवरिया में भी ऐसा ही हाल देखने को मिला. तुरंत ही देवरिया के बाद अब हरदोई के शेल्टर होम से 19 महिलाएं गायब. प्रशन उठता है- और कितने हॉरर होम! सरकार ने भरोसा दिलाया कि सरकार दोषियों को कड़ी सजा दिलवाएगी.
गंगा क्यों मैली हो रही?
अब बात गंगा के मैली होने की. यों तो गंगा सहित अनेक नदियों के प्रदूषित होने के अनेक कारण हैं, जिसमें रासायनिक कचरा, नालों का मिलना और हमारी आदतें व धार्मिक क्रियाएं भी शामिल हैं. लेकिन इसका एक कारण 50 साल पहले खोए प्लूटोनियम की वजह से प्रदूषित होना भी माना जा रहा है.

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात में उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने 1965 के असफल नंदा देवी अभियान का जिक्र करते हुए गंगा के प्रदूषित होने का एक संभावित कारण सामने रखा है. सतपाल महाराज ने आशंका जताई कि तब 50 साल पहले गायब हुआ एक परमाणु उपकरण गंगा के प्रदूषित होने के लिए जिम्मेदार हो सकता है. ऐसा माना जाता है कि प्लूटोनियम कैपसूल की उम्र सौ साल से अधिक होती है और वह अब भी बर्फ में कहीं दबा हो सकता है, क्योंकि कुछ महीने बाद ही प्लूटोनियम के स्टॉक समेत सभी उपकरण खो चुके थे. यह संभावना है कि अभी भी सक्रिय सक्रिय प्लूटोनियम कैप्सूल से विकिरण की संभावना हो सकती है, जो नंदा देवी रेंज से गंगा में गिरने वाली बर्फ को प्रदूषित कर रही है. प्राथमिकता के आधार पर मामले का अध्ययन किया जाना चाहिए.
कामेंट्स में आपके विचार जानना अपेक्षित है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “गंगा क्यों मैली हो रही?

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छा लेख लीला बहन .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको ब्लॉग बहुत अच्छा लगा. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    दुनिया के महासागरों में हर दिन 9 करोड़ 20 लाख किलोग्राम कचरा फेंक रहे हैं हम?

    दुनियाभर के महासागर कूड़ेदान में तब्दील हो रहे हैं और यह सब कचरा समुद्री परिस्थितियों को पर गंभीर प्रभाव छोड़ रहा है। जांच से पता लगा है कि महज 24 घंटे के अंदर दुनियाभर के महासागरों और नदियों से 9 करोड़ 20 लाख किलोग्राम कचरा इकट्ठा किया गया है। इतना ही नहीं जितनी रस्सियां, धागे समुद्री तटों पर फेंके गए हैं उससे 28 किलोमीटर लंबा तौलिया बनाया जा सकता है। इस कारण गंगा जैसी नदियां भी मैली हो रही हैं और पुरुषों की हवस की मारी बालिकाएं व महिलाएं असुरक्षित हैं.

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