स्वतंत्रता दिवस पर दोहे
आजादी का पर्व है, .. झूम रहा है देश !
इसका होना चाहिए, सबको गर्व रमेश ! !
आजादी है देश की, ….वीरों का बलिदान !
नवयुग की नव पीढियां , दें वीरों को मान !!
इकहत्तर पूरे हुए,……..आजादी के साल !
नहीं गुलामी का मगर,कटा ज़हन से जाल !!
आजादी का कब हुआ,हमें पूर्ण अहसास !
पहले गोरों के रहे ,…अब अपनों के दास !!
जिसको देखो बेधड़क, लूट रहा है देश !
आजादी के अर्थ को, समझे नहीं रमेश !!
आजादी के बाद से, दिन-दिन भड़की आग !
सत्तर सालों बाद भी, नहीं सके हम जाग !!
भूखे को रोटी नहीं,रहने को न मकान !
हुआ देश आजाद ये,कैसे लूँ मै मान ! !
इकहत्तर पूरे हुए .,….आजादी के साल !
नेता तो खुशहाल हैं,पर जनता बदहाल !!
आजादी अब हो गई, है ऐसा हथियार !
अपनों के आगे करे, अपनों को लाचार !!
सुनने वाला ही नहीं, जब कोई फ़रियाद !
आजादी के बाद भी ,हम कितने आज़ाद !!
चलो उन्होंने कर दिया, फिर से यह अहसान !
आजादी के पर्व का,…. किया आज सम्मान !!
आजादी उनके कभी, …..आयी नही करीब !
रहीं झिड़कियां गालियाँ,जिनका यहाँ नसीब !!
भिन्न-भिन्न भाषा मगर, सबकी एक जुबान !
यूं ही हम कहते नही,…….मेरा देश महान ! !
भूखे को रोटी मिले,मिले हाथ को काम !
आजादी का अर्थ तब, जानेगी आवाम !!
झूठों को इज्जत मिले,सच्चों को दुत्कार !
आजादी का देश मे,……ये कैसा आधार!!..
— रमेश शर्मा