राजनीति

दलितों, पिछड़ों और हिंदुत्व के सहारे भाजपा का मिशन-2019

आगामी लोकसभा चुनावों में प्रदेश के सभी विरोधी दल एकसाथ मिलकर महागठबंधन के सहारे भाजपा को रोकने की योजना बना रहे हैं। लेकिन भाजपा ने मेरठ में कार्यसमिति की बैठक में सपा-बसपा के महागठबंधन से निपटने की रणनीति लगभग तैयार कर ली है तथा अगले छह माह में यह कार्ययोजना सड़क पर आ जायेगी। भाजपा ने महागठबंधन को पूरी तरह से शिकस्त देने के लिए समाज के सभी वर्गों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए सम्मेलनों और बैठकों का दौर शुरू दिया है।
मेरठ कार्यसमिति की बैठक से यह साफ संकेत गया है कि बीजेपी अब केवल शहरों की पार्टी नहीं रह गयी है अपितु उसका फैलाव दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों के बीच लगातार बढ़ता जा रहा है। दलितों, पिछड़ों, अतिपिछडों के बीच अपनी उपस्थिति का व्यापक फैलाव बनाने के कार्य किये जा रहे हैं तथा योजनायें बनायी जा रही हैं। अब जितने भी सम्मेलन व बैठकें हो रही हेैं तथा आने वाले दिनों में होंगी उसमें हिंदुत्व सहित समाज के सभी कमजोर वर्गों पर भी नजरे इनायत होने जा रही है। बीजेपी अब पिछली सरकारों में जिस प्रकार से भ्रष्टाचार हुआ तथा धन की लूट हुई उसे जनमानस मे खोलने जा रही है।
एक प्रकार से बीजेपी हिंदुत्व, विकास और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का बिगुल बजाते हुए महागठबधन से और अधिक आगे निकलने की तैयारी कर रही है। मेरठ कार्यसमिति में योगी जी के नेतृत्व की सराहना की गयी और जब वे कार्यसमिति की बैठक में भाग लेने जा रहे थे तब उन पर पुष्पवर्षा की गयी। प्रदेश भाजपा ने केंद्र सरकार दलितों, पिछड़ों अतिपिछड़ों के लिए जो काम किये हैं तथा कर रही है उनको आधार मानकर समाज के वंचितों के बीच जा रही है। संसद के मानसून सत्र में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया है।
कार्यस्मिति के पहले लखनऊ में भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा की बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभर समाज से एकजुटता का आहवान किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ परिवार, जाति विशेष अथवा धर्म को फोकस करने वाले दलों को देश व प्रदेश की सत्ता में नहीं आने देंगे। सबसे बड़ी बात यह रही कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभर समाज का बीजेपी के साथ जोड़े रखने के लिए बहराइच के चित्तौडा नामक स्थान पर महाराज सुहेलदेव का भव्य स्मारक बनाने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सन 1029 में सालार मसूद गाजी की विशाल सेना को हराने के साथ ही गाजी को समाप्त कर सुहेलदेव ने राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा की थी। इसके बाद 150 वर्षों तक किसी भी विदेशी ने भारत पर हमला नहीं किया था। इतिहास में उन्हें आने नहीं दिया गया क्योंकि इतिहास से छेड़छाड़ की गयी थी।
वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि आजादी बाद 70 साल तक सरकारों ने पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने की हिम्मत नहीं दिखायी। पीएम मोदी ने वह काम कर दिखाया है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने सपा-बसपा पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि सपा बसपा सरकार के नेता अपने परिवार और बंगलों-हवेलियों की चिंता में डूबे रहते थे। उन्होंने पिछड़ों के नाम पर अतिपिछड़ों और दलितों के नाम पर अतिदलितों का हक मारा। प्रदेश में 1645 गांव और कई जातियों को आजादी के बाद किसी योजना का लाभ नहीं मिला था। हमने इन्हें लाभ दिया। प्रजापति समाज के लिए माटी कल्याण बोर्ड गठित किया गया है। धोबी, निषाद, नाई, विश्वकर्मा सहित अन्य जातियों के लिए भी कल्याणकारी योजनाएं बनायी जा रही हैं।
सम्मेलनों के बीच नाई समाज को आकर्षित करने के लिए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हर जिले में एक सड़क का नाम नाई समाज के प्रमुख नेता और बिहार के पूर्व सीएम रहे कर्पूरी ठाकुर के नाम पर करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से सभी नदियां सागर में समाहित होती हैं उसी तरह देशभर की पिछड़ी जातियां पीएम मोदी को 2019 में फिर पीएम बनाने के लिए पूरी तरह से एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि नाई समाज का देश के विकास में अहम योगदान है। पीएम मोदी ने बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग और समुदाय के लिए ईमानदारी के साथ काम किया। ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि बीजेपी ने ही पिछड़ी और अतिपिछड़ी जातियों की बात की है। सपा शासन में तो जाति विशेष और संप्रदाय विशेष पर ध्यान दिया जाता था।
इसी के साथ बीजेपी अब आगामी दिनों में सम्मेलनों का सिलसिला शुरू करने जा रही है। अब निषाद, कश्यप, बिंद, केवट, कहार जातियों का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा। भड़भूजा, कांदू, कसौघन जातियों का भी सम्मेलन आयोजित होगा। भाजपा अब खेतिहर और पेशेवर सभी जातियों पर फोकस कर रही है। रणनीतिकारों ने पिछड़ों के साथ दलितों के भी अलग-अलग सम्मेलन बुलाने की योजना बनायी है। प्रत्येक समाज के सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों का जिलों में भी एक समूह बनेगा। यही समूह अपने-अपने समाज को भाजपा के साथ लाने का काम करेगा। आगामी दिनों में जातिगत आधार पर सम्मेलनों की बाढ़ आने वाली है तथा इसमें जातिगत आधार के साथ हिंदुत्व के एजेंडे को भी गहराई दी जायेगी। यही कारण है कि कार्यसमिति में कांवड़ यात्रा की सफलता का विशेष उल्लेख किया गया।
योगी सरकार पहली ऐसी सरकार बन गयी जिसके मुख्यमंत्री ने ही नहीं अपितु पुलिस ने भी कांवड़ यात्रियों पर पुष्पवर्षा की। वहीं विरोधी दलो ने कांवड़ यात्रा को बदनाम करने व उसको प्रतिबंधित करने की बातें कहकर अपनी असलियत उजागर कर दी है। कार्यस्मिति में हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने के लिए बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा भी जोरदार ढंग से उठाया गया। कांग्रेस पर तीखा हमला बोला गया। सरकार व संगठन के स्तर पर आगामी छह माह का रोडमैप तैयार कर लिया गया है।
एक बार फिर रथयात्रा निकालने की तैयारी शुरू हो चुकी है। मेरठ में भीम आर्मी के बढ़ते प्रभाव तथ नगर निगम चुनावों में बसपा की जीत पर मंथन किया गया और मेरठ में एक विशाल दलित रैली करने का विचार किया गया है। प्रदेश सरकार ने दलितों के गांवों में विकास को धार देना शुरू कर दिया है। समाज कल्याण विभाग दलित बाहुल्य आबादी वाले गावों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए धन की मंजूरी में तेजी दिखाई है। साथ ही ‘एक जिला- एक उत्पाद’ योजना से भी इन वर्गों का विकास होने जा रहा है।
2019 की बाजी जीतने के लिए भाजपा ने महागठबंधन पर चैतरफा हमला बोलने का निश्चय कर लिया है। सम्मेलन में पूर्व किसान नेता चैधरी चरण सिंह आदि का नाम लेकर तथा उनके पोस्टर लगवाकर राष्टीय लोकदल के माथे पर बल ला दिये हैं। बीजेपी कार्यकारिणी में जो प्रस्ताव पारित हुआ है उससे साफ पता चल रहा है कि अनुसूचित जाति-पिछड़ों के विकास से ही न्यू इंडिया का सपना पूरा होगा। राजनैतिक प्रस्ताव में अनुुसूचित जातियों और पिछ़ड़ों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है। जाति, धर्म के भेदभाव के बिना सबका साथ-सबका विकास का लक्ष्य लेकर 2022 तक न्यू इंडिया बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
पिछली सरकारों ने भ्रष्टाचार का जो खेल खेला था अब उस पर भी प्रहार होने वाला है। आगामी दिनों में बीजेपी ने एक बड़ा लक्ष्य रखा है जो कार्यकर्ता इन लक्ष्यों पर खरे उतरंगे उन्हीं को आगामी लोकसभा में टिकट भी मिलेगा। वैसे भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपना लक्ष्य तय कर लिया हेै कि 73 से एक भी सीट कम नहीं होनी चाहिए, अपितु सीटों की संख्या और बढ़नी चाहिए।
मृत्युंजय दीक्षित