गीत/नवगीत

परम आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी जी को समर्पित शब्द सुमन…



अटल क्यूँ मौत होती है मौत भी आज है रोई।
बिलखती भारती माँ है लेखनी मौन हो सोई।

बड़ा गमगीन है सारा
यहाँ अभिसार भारत का।
तिरंगे झुक गए पल को
गृह अंधियार भारत का।

समय के मोड़ पर आकर दगा दे ज़िंदगी खोई।
अटल क्यूँ मौत होती है मौत भी आज है रोई।

भाल पर भारती के तुम
“अटल” अद्धभुत सितारा थे।
काव्य अविरल प्रवाहित था
कवित का वो किनारा थे।

कहाँ अंकित हुआ करते जन्मता रोज है कोई।
अटल क्यूँ मौत होती है मौत भी आज है रोई।

“लौट के आऊँगा मैं तो
कूच से क्यूँ डरूँ” कहकर।
चले तुम तो गए हो बस
समय के साथ में बहकर।

प्रतीक्षारत ज़माना है नही तुमसा कोई गोई।
अटल क्यूँ मौत होती है मौत भी आज है रोई।

अनहद गुंजन अग्रवाल 💐

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*